#mankibat
#narendramodi
#spg
#chhatrapati
#mudhol
#drpetvet
@NarendraModi
retirement ke bad Army Dog Ko Goli Kyu mar dete he...????
https://youtu.be/HWOwNqe-ZCs
Mudhol hounds, the famous breed of Indian dogs from the town of Mudhol in Bagalkot district in north Karnataka, will soon be part of Prime Minister Narendra Modi’s security entourage, managed by the Special Protection Group (SPG).
Two Mudhol pups aged were handed over to the SPG in April this year and have since then been trained by specialists of the SPG in activities such as bomb detection, drug detection, and so on.
The breed of sleek dogs were used in hunting in the past and live up to an age of 10 to 15 years. With its long slender body and graceful features, the dog has emerged as the mascot of the town in which it is most commonly found. Mudhol was a minor (a nine-gun salute) princely state in British India. Ruled by the Ghorpade Marathas, the state was located in the southern part of the Bombay Presidency. According to commonly held historical knowledge in the region, it was the penultimate ruler of Mudhol, Shrimant Rajesaheb Malojirao Ghorpade of Mudhol (d. 1939), who is credited with bringing into prominence the Mudhol hound.
The prince saw that these dogs, which bore great resemblance to hounds, were used as hunting dogs by the shepherding communities in his kingdom. Recognising the distinctness of the dogs, he selectively bred the best specimens and even presented a pair of these hounds to King George V when he visited England who christened them ‘Mudhol hounds’.
Mudhol Hound Dogs in PM Modi Security: कर्नाटक के देसी नस्ल के मशहूर 'मुधोल हाउंड' डॉग्स को प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा दस्ते में शामिल हुए हैं. इन कुत्तों में लंबी दूरी तक दौड़ने की क्षमता होती है. ये लगभग 50 किमी / घंटा की गति से दौड़ सकते हैं और 3 किमी की दूरी से किसी भी वस्तु को सूंघ सकते हैं. इनकी लंबाई 72 सेंटीमीटर तक होती है और वजन 20 से 22 किलोग्राम के बीच होता है. मुधोल हाउंड शिकार और रखवाली के काम में माहिर होते हैं. इनका स्टेमिना बहुत अच्छा होता है. ये बिना थके लंबी दूरी तक दौड़ सकते हैं. ब्रीड पहले से ही भारतीय सेना का हिस्सा है. वायुसेना और अन्य सरकारी विभागों में इस्तेमाल काफी पहले से किया जा रहा है.
क्यों खास है यह ब्रीड
कर्नाटक के बागलकोट इलाके में पाई जाने वाली यह ब्रीड देश में अपनी विशेष कार्य शक्ति और शिकारी प्रवृत्ति के लिए जानी जाती है. अमेरिका में इसे कैरावान हाउंड कहा जाता है. वहीं कर्नाटक के कई इलाकों में ये करवानी नाम से प्रचलित है. मुधोल हाउंड को सबसे शिकारी गुण, वफादार और स्वस्थ प्रजाति का माना जाता है.पतले लेकिन ऊंचे कद के मुधोल हाउंड का जबड़ा काफी मजबूत होता है. यह एक बार शिकार को पकड़ ले उसके बाद छोड़ता नहीं है. यह विदेशी नस्ल जर्मन शेफर्ड की तुलना में काफी तेज होता है. कहा जाता है कि जो काम जर्मन शेफर्ड कुत्ते 90 सेकेंड में पूरा करते हैं भारतीय नस्ल के मुधोल हाउंड उस काम को सिर्फ 40 सेकेंड में पूरा कर देते हैं.
ये खूबियां इस नस्ल को बनाती हैं खास
लंबे पैरों वाला मुधोल हाउंड अपनी बेहतरीन शारीरिक बनावट की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को सबसे ज्यादा पसंद है. इसके साथ ही यह कम बीमार होता है. दूसरे कुत्तों की तुलना में कम थकता है. यह बीमार भी कम पड़ता है. इसे हर मौसम में काम करने की क्षमता होती है. इसका शरीर हर मौसम के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर लेता है. किसी दूसरे स्वदेशी नस्ल के कुत्ते की तुलना में ज्यादा बहादुर और ईमानदार होता है.
2017 में वायु सेना में हुए शामिल
शिकारी गुण और चुस्ती की वजह से ही 2017 में पहली बार इन्हें भारतीय सेना में रखा गया था. इसे बाद इन्हें कई और विभागों में शामिल किया गया. अप्रैल महीने में कैनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर तिम्मापुर ने दो दो महीने के दो मेल पपीज को एसपीजी को सौंपा था.
मन की बात में की थी चर्चा
पीएम मोदी ने मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों का जिक्र मन की बात में भी किया था. उन्होंने कहा था कि अगर इस नस्ल के कुत्तों को घर में पाला जाए तो इससे भारतीय नस्ल को प्रोत्साहन मिलेगा और यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए आवश्यक भी है.
देश की सुरक्षा में इन नस्लों के कुत्ते भी शामिल
लेब्राडोर
जर्मन शेफर्ड
मुधोल हाउंड
ग्रेट स्विस माउंटेन
बेल्जियम मेलोनॉइज
#narendramodi
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video and Image credits belong To their respective Owner
https://youtu.be/ePiy0BstJUo
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Mudhol hounds, the famous breed of Indian dogs from the town of Mudhol in Bagalkot district in north Karnataka, will soon be part of Prime Minister Narendra Modi’s security entourage, managed by the Special Protection Group (SPG).
Two Mudhol pups aged were handed over to the SPG in April this year and have since then been trained by specialists of the SPG in activities such as bomb detection, drug detection, and so on.
The breed of sleek dogs were used in hunting in the past and live up to an age of 10 to 15 years. With its long slender body and graceful features, the dog has emerged as the mascot of the town in which it is most commonly found. Mudhol was a minor (a nine-gun salute) princely state in British India. Ruled by the Ghorpade Marathas, the state was located in the southern part of the Bombay Presidency. According to commonly held historical knowledge in the region, it was the penultimate ruler of Mudhol, Shrimant Rajesaheb Malojirao Ghorpade of Mudhol (d. 1939), who is credited with bringing into prominence the Mudhol hound.
The prince saw that these dogs, which bore great resemblance to hounds, were used as hunting dogs by the shepherding communities in his kingdom. Recognising the distinctness of the dogs, he selectively bred the best specimens and even presented a pair of these hounds to King George V when he visited England who christened them ‘Mudhol hounds’.
Mudhol Hound Dogs in PM Modi Security: कर्नाटक के देसी नस्ल के मशहूर 'मुधोल हाउंड' डॉग्स को प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा दस्ते में शामिल हुए हैं. इन कुत्तों में लंबी दूरी तक दौड़ने की क्षमता होती है. ये लगभग 50 किमी / घंटा की गति से दौड़ सकते हैं और 3 किमी की दूरी से किसी भी वस्तु को सूंघ सकते हैं. इनकी लंबाई 72 सेंटीमीटर तक होती है और वजन 20 से 22 किलोग्राम के बीच होता है. मुधोल हाउंड शिकार और रखवाली के काम में माहिर होते हैं. इनका स्टेमिना बहुत अच्छा होता है. ये बिना थके लंबी दूरी तक दौड़ सकते हैं. ब्रीड पहले से ही भारतीय सेना का हिस्सा है. वायुसेना और अन्य सरकारी विभागों में इस्तेमाल काफी पहले से किया जा रहा है.
क्यों खास है यह ब्रीड
कर्नाटक के बागलकोट इलाके में पाई जाने वाली यह ब्रीड देश में अपनी विशेष कार्य शक्ति और शिकारी प्रवृत्ति के लिए जानी जाती है. अमेरिका में इसे कैरावान हाउंड कहा जाता है. वहीं कर्नाटक के कई इलाकों में ये करवानी नाम से प्रचलित है. मुधोल हाउंड को सबसे शिकारी गुण, वफादार और स्वस्थ प्रजाति का माना जाता है.पतले लेकिन ऊंचे कद के मुधोल हाउंड का जबड़ा काफी मजबूत होता है. यह एक बार शिकार को पकड़ ले उसके बाद छोड़ता नहीं है. यह विदेशी नस्ल जर्मन शेफर्ड की तुलना में काफी तेज होता है. कहा जाता है कि जो काम जर्मन शेफर्ड कुत्ते 90 सेकेंड में पूरा करते हैं भारतीय नस्ल के मुधोल हाउंड उस काम को सिर्फ 40 सेकेंड में पूरा कर देते हैं.
ये खूबियां इस नस्ल को बनाती हैं खास
लंबे पैरों वाला मुधोल हाउंड अपनी बेहतरीन शारीरिक बनावट की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को सबसे ज्यादा पसंद है. इसके साथ ही यह कम बीमार होता है. दूसरे कुत्तों की तुलना में कम थकता है. यह बीमार भी कम पड़ता है. इसे हर मौसम में काम करने की क्षमता होती है. इसका शरीर हर मौसम के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर लेता है. किसी दूसरे स्वदेशी नस्ल के कुत्ते की तुलना में ज्यादा बहादुर और ईमानदार होता है.
2017 में वायु सेना में हुए शामिल
शिकारी गुण और चुस्ती की वजह से ही 2017 में पहली बार इन्हें भारतीय सेना में रखा गया था. इसे बाद इन्हें कई और विभागों में शामिल किया गया. अप्रैल महीने में कैनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर तिम्मापुर ने दो दो महीने के दो मेल पपीज को एसपीजी को सौंपा था.
मन की बात में की थी चर्चा
पीएम मोदी ने मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों का जिक्र मन की बात में भी किया था. उन्होंने कहा था कि अगर इस नस्ल के कुत्तों को घर में पाला जाए तो इससे भारतीय नस्ल को प्रोत्साहन मिलेगा और यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए आवश्यक भी है.
देश की सुरक्षा में इन नस्लों के कुत्ते भी शामिल
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मुधोल हाउंड
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