Prayers don't work , still people LOVE GOD ?

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PSYCHOLOGY OF BLIND-FAITH : PART 3
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Why do people keep worshiping God even when prayers often seem unanswered? What drives this enduring faith across cultures and religions? In this thought-provoking video, we uncover the psychological, emotional, and social factors that keep the idea of God alive and thriving in modern times.
The Illusion of Control:
Many people turn to religion to maintain a sense of control over the uncontrollable aspects of life—like the afterlife, forgiveness, or unforeseen challenges. This belief provides comfort and a framework to navigate life's uncertainties.
Habit Formation Through Faith:
Repeated religious practices—praying, fasting, or attending rituals—create powerful habits. Once ingrained, these habits become hard to break, making devotion a natural part of life for many.
Stress Management and Social Bonding:
Religion often serves as a tool to cope loss. It provides emotional relief, while the communal aspect of faith fosters deep social connections, creating a support system during difficult times.
Psychological and Livelihood Alignment:
People often gravitate toward religions where their personal psyche and way of life align with religious rituals. When beliefs and lifestyle sync with spiritual practices, it strengthens their bond to the faith.
Understanding why people worship despite unanswered prayers offers insight into the human need for meaning, hope, and community. This video provides a fresh perspective on why religion persists in a world that’s increasingly skeptical of traditional beliefs.

लोग ईश्वर की पूजा क्यों करते रहते हैं, भले ही प्रार्थनाओं का अक्सर कोई उत्तर न मिले? संस्कृतियों और धर्मों में इस स्थायी आस्था को क्या प्रेरित करता है? इस विचारोत्तेजक वीडियो में, हम उन मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक कारकों का पता लगाते हैं जो आधुनिक समय में ईश्वर के विचार को जीवित और प्रासंगिक बनाए रखते हैं।
नियंत्रण का भ्रम:
बहुत से लोग जीवन के अनियंत्रित पहलुओं—जैसे मृत्यु के बाद का जीवन, क्षमा, या अप्रत्याशित चुनौतियों—पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए धर्म की ओर रुख करते हैं। यह विश्वास उन्हें सांत्वना देता है और जीवन की अनिश्चितताओं का सामना करने का एक ढांचा प्रदान करता है।
आस्था के माध्यम से आदत निर्माण:
धार्मिक प्रथाएं—जैसे प्रार्थना करना, उपवास रखना या अनुष्ठानों में भाग लेना—मजबूत आदतें बनाती हैं। एक बार यह आदतें बनने के बाद, इन्हें तोड़ना मुश्किल हो जाता है, और यह भक्ति कई लोगों के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा बन जाती है।
दर्द प्रबंधन और सामाजिक संबंध:
धर्म अक्सर दुख और हानि से निपटने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह भावनात्मक राहत प्रदान करता है, जबकि आस्था का सामुदायिक पहलू गहरे सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देता है, जो कठिन समय में एक समर्थन प्रणाली बनाते हैं।
मनोवैज्ञानिक और आजीविका का मेल:
लोग अक्सर उन धर्मों की ओर आकर्षित होते हैं जहां उनकी व्यक्तिगत सोच और जीवन शैली धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मेल खाती है। जब विश्वास और जीवन शैली आध्यात्मिक प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाते हैं, तो यह उनके धर्म के साथ संबंध को और मजबूत करता है।
समझना कि लोग क्यों पूजा करते हैं, भले ही प्रार्थनाओं का कोई उत्तर न मिले, यह मानव जीवन में अर्थ, आशा और समुदाय की आवश्यकता में गहराई से अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह वीडियो इस बात पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है कि पारंपरिक विश्वासों के प्रति बढ़ती संदेह के बावजूद धर्म क्यों बना रहता है।


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SOURCES:
https://docs.google.com/document/d/1oyWSkYAE179RqhhBO0Q6R9uOpz8TFs8ON7HTjRlgVB4/edit?usp=sharing


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blind faith, spirituality explained, adhyatm kya hai

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